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अब सरकारी नौकरी के चयन के लिए होगी सिर्फ एक परीक्षा, जानिए कैसे मिलेगा नौकरी के इच्छुक कैंडिडेट्स को इसका लाभ
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केंद्रीय मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में पांच अहम फैसलों में नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी (NRA) के गठन को भी मंजूरी दी गई। साथ ही सरकार ने राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी के लिए 1517.57 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। अब नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी, कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) का आयोजन करेगी, यानी अब सरकारी नौकरी में चयन के लिए विभिन्न परीक्षाओं में बैठने वाले अभ्यर्थियों को सिर्फ एक ही परीक्षा में बैठना होगा।
मौजूदा समय में देश में सरकार की करीब 20 रिक्रूटमेंट एजेंसियां हैं, अलग-अलग परीक्षाएं आयोजित करता है। ऐसे में एक छात्र अगर चार से पांच में भी परीक्षा देता है, तो उसे एग्जाम देने के लिए बार-बार जाना पड़ता है और बार-बार परीक्षा का तनाव होता है। बार-बार होने वाली इन परेशानियों को खत्म कर अब नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी (राष्ट्रीय भर्ती संस्था) का गठन किया जाएगा, जो केवल एक परीक्षा लेगी- कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट।
विभिन्न परीक्षाओं से नौकरी उम्मीदवार को होने वाली दिक्कतें
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हर रिक्रूटमेंट का एग्जाम शेड्यूल अलग-अलग होता है, एप्लीकेशन प्रोसेस भी अलग-अलग होते हैं। जब दो-तीन परीक्षा करानी होती हैं, तो इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी की वजह से कई जगहों पर नकल की संभावना भी बढ़ जाती है।
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अलग-अलग रिक्रूटमेंट के लिए अलग-अलग फॉर्म के पैसे देने पड़ते थे। हर फॉर्म के साथ बैंक ऑर्डर, पीओ, डिमांड ड्राफ्ट आदि लगाने के लिए कैंडिडेट्स को परेशान होना पड़ता है।
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ज्यादातर परीक्षा केंद्र शहरी क्षेत्रों में होने के कारण ग्रामीण इलाकों और छोटे कस्बों के कैंडिडेट्स को परीक्षा देने के लिए बार-बार यात्रा करनी पड़ती है। इतना ही नहीं यात्रा के अलावा शहर आने पर होटल में रुकने का खर्च भी अलग से उठाना पड़ता है।
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कई परीक्षाओं की तारीखें एक ही दिन पड़ने की वजह से अभ्यर्थियों को एक न एक एग्जाम छोड़ना पड़ता है।
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साथ ही इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी भी महसूस होती थी, क्योंकि कुछ ही केंद्रों पर ही परीक्षाएं कराई जा सकती हैं। ऐसे में भीड़ बहुत बढ़ जाती है।
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परीक्षा के दौरान केंद्रों की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन को अलग से अधिकारियों और पुलिस को तैनात करना पड़ता है। बार-बार परीक्षाएं होने से बार-बार इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
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इन सबके कारण खर्च बढ़ने के साथ-साथ रिक्रूटमेंट की प्रक्रिया बहुत लंबी हो जाती है।
विभिन्न परीक्षाओं से संस्थानों को होने वाली दिक्कतें
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देश में केंद्र सरकार की 20 से ज्यादा रिक्रूटमेंट एजेंसियां हैं। हर एजेंसी अलग-अलग समय पर परीक्षा आयोजित करती है, जिसके लिए संस्थानों को बार-बार तैयारी करनी पड़ती है।
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अलग-अलग एजेंसियां अपने हिसाब से प्रश्न पत्र बनाती हैं, जिसके कारण कहीं प्रश्न पत्र आसान आता है, तो कहीं कठिन। जबकि मकसद सभी का एक ही होता है।
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परीक्षाओं के लिए केंद्रों की उपलब्धता के आधार पर ही तारीख निर्धारित करनी पड़ती हैं। इंविजिलेशन और सुपरविजन के लिए भी बार-बार स्टाफ को बुलाना पड़ता है। एप्लीकेशन की प्रोसेसिंग भी अलग-अलग तरह से होने के कारण परिणाम देर से आते हैं।
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हर साल केंद्र सरकार में ग्रुप बी और ग्रुप सी में करीब 1.25 पदों पर भर्ती की जाती है। जिसमें से ढाई से तीन करोड़ लोग इसमें बैठते हैं। ये आंकड़ा तीन रिक्रूटमेंट एजेंसियों का है- रेलवे के लिए आरआरबी, बैंक सेवाओं के लिए आईबीपीएस और बाकी सरकारी कामों के लिए एसएससी है। अभी ये ढाई से तीन करोड़ लोग बारी-बारी से तीन एग्जाम देते हैं। पहले आरआरबी, फिर एसएससी, और फिर बैंकिंग सेवा।
नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी में क्या होगा
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नई व्यवस्था के तहत इन तीनों संस्थाओं के लिए होगा- कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी)। जो भी संस्था भर्ती करना चाहती है, वो इस सीईटी में मिलने वाले स्कोर को आधार बना सकेंगे। नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी एक ऑटोनोमस सोसाइटी होगी, जिसमें तीनों संस्थाओं के प्रतिनिधि होंगे। एसएससी, आरआरबी और आईबीपीएस के प्रतिनिधि इसकी गवर्निंग बॉडी में होंगे।
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यह संस्था टियर-1 की परीक्षा को कराने का काम करेगी,जो पूरी तरह से ऑनलाइन होगी। उसके स्कोर तुरंत अभ्यर्थी को मिल जाएंगे, जिसके आधार पर वो एसएससी, आरआरबी, आदि में अगले लेवल की परीक्षाओं में बैठ सकेंगे। जैसे- जैसे यह संस्था स्थायित्व की ओर बढ़ेगी, वैसे-वैसे अन्य परीक्षाएं भी इसमें शामिल की जाएंगी।
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हर जिले में कम से कम एक केंद्र होगा। बड़े जिलों में एक से अधिक केंद्र होंगे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को लंबी यात्रा नहीं करनी होगी। ये परीक्षा 12 भारतीय भाषाओं में होगी।
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सीईटी पहले लेवल की परीक्षा होगी, जिसके स्कोर तीन साल तक वैलिड होंगे। अपने स्कोर को बेहतर बनाने के लिए अभ्यर्थी चाहें तो फिर से परीक्षा में बैठ सकेंगे। इसके लिए एक पोर्टल होगा, जिसमें छात्र अपना रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे। फीस भी एक बार देनी होगी। अभ्यर्थियों के लिए 24 घंटे संचालित होने वाली हेल्पलाइन होगी।
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नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी की स्थापना में अगले तीन साल में कुल 1517.57 करोड़ खर्च आएगा। इससे सरकार के हर साल करीब 600 करोड़ रुपए बचेंगे।
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