IRSC TODAY;
सुप्रीम कोर्ट में फाइनल ईयर की परीक्षाओं को लेकर शुरू हुई सुनवाई, छात्रों के वकील सिंघवी ने पूछा- बिना पढ़ाई कोई परीक्षा कैसे ले सकता है?
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फाइनल ईयर और सेमेस्टर की परीक्षाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुना सकता है। इस मामले में सुनवाई शुरू हो चुकी है। न्यायधीश जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली जस्टिस सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की बेंच यूजीसी गाइडलाइन मामले में सुनवाई कर रही है। कोर्ट के फैसले के बाद देश में फाइनल ईयर परीक्षाएं कराने को लेकर स्थिति साफ हो जाएगी।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस मामले में अपनी मंशा जाहिर करने को कहा था। सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और छात्रों की ओर से सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी अपना पक्ष रख रहे हैं।
कोर्ट रूम से Live
- कोर्ट में सुबह सुनवाई शुरू करते हुए 31 छात्रों के पिटिशनर यश दुबे की ओर से सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अपना पक्ष रखा।
- सिंघवी ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 को ध्यान में रखना होगा। हर छात्र का स्तर अलग होता है। ऐसे में बिना पढ़ाई के सिर्फ परीक्षा लेना ठीक नहीं। उन्होंने कहा कि पढ़ाई और परीक्षा के बीच सीधा संबंध है। ऐसे में बिना पढ़ाई कोई परीक्षा कैसे ले सकता है?
- सिंघवी की दलील थी कि जब गृह मंत्रालय अभी शैक्षणिक संस्थानों को खोलने पर ही कतरा रहा है, तो वह परीक्षा कैसे होने दे सकता है। उन्होंने कहा कि, मेरे हिसाब से यह कदम "दिमाग का सही इस्तेमाल किए बिना" उठाया जा रहा है।
UGC की दलील- स्टैंडर्ड खराब होंगे
इससे पहले यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि फाइनल ईयर की परीक्षा रद्द करने का दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार का फैसला देश में उच्च शिक्षा के स्टैंडर्ड को सीधे प्रभावित करेगा। दरअसल, यूजीसी के सितंबर के अंत तक फाइनल ईयर की परीक्षा कराने के फैसले के खिलाफ जारी याचिका पर कोर्ट में जवाब दिया।
क्या है स्टूडेंट्स की मांग
दायर याचिका में स्टूडेंट्स ने फाइनल ईयर की परीक्षा रद्द करने की मांग की है। इसके साथ ही स्टूडेंट्स ने आंतरिक मूल्यांकन या पिछले प्रदर्शन के आधार पर पदोन्नत करने की भी मांग की है। इससे पहले पिछली सुनवाई में, यूजीसी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत से कहा था कि राज्य नियमों को बदल नहीं सकते हैं और परीक्षा ना कराना छात्रों के हित में नहीं है। 31 छात्रों की तरफ से केस लड़ रहे अलख आलोक श्रीवास्तव ने कहा है कि, हमारा मसला तो यह है कि UGC की गाइडलाइंस कितनी लीगल हैं।
सरकार ने कहा- UGC को नियम बनाने का अधिकार
सुनवाई के दौरान सरकार ने कोर्ट में कहा कि फाइनल ईयर की परीक्षा कराना ही छात्रों के हित में है। सरकार और UGC का पक्ष कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता रख रहे थे। उन्होंने सुनवाई के दौरान कोर्ट से यह भी कहा कि परीक्षा के मामले में नियम बनाने का अधिकार UGC को ही है।
राज्यों के पास परीक्षा रद्द करने की शक्ति नहीं
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मुंबई और दिल्ली राज्यों की तरफ से दिए गए एफिडेविट यूजीसी की गाइडलाइंस से बिल्कुल उलट हैं। तुषार मेहता ने कहा कि जब UGC ही डिग्री जारी करने का अधिकार रखती है। तो फिर राज्य कैसे परीक्षाएं रद्द कर सकते हैं?
कोर्ट में बहस जारी है, हम इस खबर को लगातार अपडेट कर रहे हैं.....
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