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Joe Biden backs Senate border deal, vows to 'shut down the border' when overwhelmed

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मुंबई में गार्ड को देख तय किया, गांव लौट खेती करूंगा; अब सालाना टर्नओवर 25 लाख रुपए

औरंगाबाद के बरौली गांव के रहने वाले अभिषेक कुमार मुंबई में एक मल्टीनेशनल कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर थे। अच्छी-खासी सैलरी थी। सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन अचानक उन्होंने शहर से गांव लौटकर खेती करने का प्लान बनाया। 2011 में गांव लौट आए। आज वो 20 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं। धान, गेहूं, लेमन ग्रास और सब्जियों की खेती कर रहे हैं। दो लाख से ज्यादा किसान देशभर में उनसे जुड़े हैं। सालाना 25 लाख रुपए का टर्नओवर है।

33 साल के अभिषेक की पढ़ाई नेतरहाट स्कूल से हुई। उसके बाद उन्होंने पुणे से एमबीए किया। 2007 में HDFC बैंक में नौकरी लग गई। यहां उन्होंने 2 साल काम किया। इसके बाद वे मुंबई चले गए। वहां उन्होंने एक टूरिज्म कंपनी में 11 लाख के पैकेज पर बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर ज्वाइन किया। करीब एक साल तक यहां भी काम किया।

2016 में पीएम मोदी ने अभिषेक को कृषि रत्न सम्मान से नवाजा था।

अभिषेक कहते हैं, 'मुंबई में काम करने के दौरान मैं वहां की कंपनियों में तैनात सिक्योरिटी गार्ड से मिलता था। वे अच्छे घर से थे, उनके पास जमीन भी थी, लेकिन रोजगार के लिए गांव से सैकड़ों किमी दूर वे यहां जैसे-तैसे गुजारा कर रहे थे। उनकी हालत देखकर अक्सर मैं सोचता था कि कुछ करूं ताकि ऐसे लोगों को गांव से पलायन नहीं करना पड़े।

वो कहते हैं, '2011 में मैं गांव आ गया। पहले तो परिवार की तरफ से मेरे फैसले का विरोध हुआ। घरवालों का कहना था कि अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर गांव लौटना ठीक नहीं है। गांव के लोगों ने मजाक उड़ाया कि पढ़-लिखकर खेती करने आया है, लेकिन मैं तय कर चुका था। मैंने पिता जी से कहा कि एक मौका तो दीजिए, फिर उसके बाद जो होगा वो मेरी जिम्मेदारी होगी।'

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अभिषेक का फैमिली बैकग्राउंड खेती रहा है। उनके दादा और पिता खेती करते थे। खेती की बेसिक चीजें उन्हें पहले से पता थीं। कुछ जानकारी उन्होंने फार्मिंग से जुड़े लोगों से और कुछ गूगल की मदद से जुटाई। उन्होंने एक एकड़ जमीन से खेती की शुरुआत की।

पहली बार एक लाख की लागत से जरबेरा फूल लगाया। इससे पहले ही साल चार लाख की कमाई हुई। इसके बाद उन्होंने लेमन ग्रास, रजनीगंधा, मशरूम, सब्जियां, गेहूं जैसी दर्जनों फसलों की खेती शुरू की।

अभिषेक ने 2011 में खेती शुरू की। उनके साथ देश के 2 लाख से ज्यादा किसान जुड़े हैं।

आज अभिषेक 20 एकड़ जमीन पर खेती करते हैं। 500 से ज्यादा लोगों को उन्होंने रोजगार दिया है। 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं। बिहार सरकार की तरफ से भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने तेतर नाम से एक ग्रीन टी की किस्म तैयार की है। जिसका पेटेंट उनके नाम पर है। इस चाय की काफी डिमांड है। पूरे भारत में इसके ग्राहक हैं।

अभिषेक के लिए यह सफर आसान नहीं रहा है, उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। 2011 में ही वो सड़क हादसे का शिकार हो गए थे। इसके बाद बैसाखी के सहारे कई महीनों तक उन्हें चलना पड़ा था। वो कहते हैं- खेती को लाभ का जरिया बनाया जा सकता है। इसके लिए बेहतर प्लानिंग और अप्रोच की जरूरत है।

जो टमाटर सीजन में 2 रुपए किलो बिक रहा है, उसे ऑफ सीजन में बेचा जाए तो 50 रुपए से ज्यादा के भाव से बिकेगा। इतना ही नहीं अगर उसे प्रोसेसिंग करके स्टोर कर लिया जाए तो अच्छी कीमत पर ऑफ सीजन में बेचा जा सकता है।

वो बताते हैं कि रजनीगंधा की खेती काफी फायदेमंद है। रजनीगंधा की पूरे देशभर में काफी डिमांड है। एक हेक्टेयर में रजनीगंधा फूल की खेती करने में लागत करीब डेढ़ लाख रुपए आएगी। इससे एक साल में पांच लाख तक की आमदनी हो सकती है।

अभिषेक कहते हैं कि खेती को लाभ का जरिया बनाया जा सकता है। इसके लिए बेहतर प्लानिंग और अप्रोच की जरूरत है।

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अच्छी खेती के लिए जरूरी स्टेप्स
1. क्लाइमेट कंडीशन :
हम जहां भी खेती शुरू करने जा रहे हैं, वहां के मौसम के बारे में अध्ययन करना चाहिए। उस जमीन पर कौन-कौन सी फसलें हो सकती हैं, इसके बारे में जानकारी जुटानी चाहिए।
2. स्टोरेज : प्रोडक्ट तैयार होने के बाद हमें उसे स्टोर करने की व्यवस्था करनी होगी ताकि ऑफ सीजन के लिए हम उसे सुरक्षित रख सकें।
3. मार्केटिंग और पैकेजिंग : यह सबसे अहम स्टेप हैं। प्रोडक्ट तैयार करने के बाद हम उसे कहां, बेचेंगे, उसकी जगह के बारे में जानकारी जरूरी है। इसके लिए सबसे बेहतर तरीका है, वहां की लोकल मंडियों में जाना, लोगों से बात करना और डिमांड के हिसाब से समय पर प्रोडक्ट पहुंचना। इसके अलावा सोशल मीडिया भी मार्केटिंग में अहम रोल प्ले करता है।

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औरंगाबाद के बरौली गांव के रहने वाले अभिषेक कुमार को खेती के लिए कई सम्मान मिल चुके हैं।


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