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2 अक्टूबर का दिन अब इसलिए भी याद रखा जाएगा कि इस दिन भारत में कोरोना से मरने वालों की संख्या ने एक लाख का आंकड़ा छू लिया। डर और डगमगाती जिंदगी की उम्मीदों के बीच हमारे यहां कोरोना अपने पीक पर है। माहौल ऐसा है कि लगता है हर कोई बेबस और लाचार है। वैक्सीन से बड़ी उम्मीदें है लेकिन उसके पहले के मंजर खौफनाक हैं।
मार्च में पहली मौत से लेकर अक्टूबर तक एक लाख मौतों के गम की तस्वीरें कुछ ऐसी हैं जो देखी नहीं जाती। लेकिन, हम मजबूरी में इसलिए दिखा रहे कि आप कोई लापरवाही न करें और न अपनों को करने दें। नीचे की 10 तस्वीरों और उनमें छुपे दर्द को महसूस करते हुए समझ लीजिए कि जब तक वैक्सीन नहीं आता, मास्क ही आपका वैक्सीन है।

तस्वीर जून के महीने की रांची की है। गोवा के करमाली से श्रमिक स्पेशल ट्रेन जब झारखंड के हटिया पहुंची तो पता चला कि एस-15 में सफर कर रहे 19 वर्षीय युवक की एक दिन पहले सफर में मौत हो चुकी है। पूरे सफर में 70 स्टेशन क्रॉस कर गई, किसी ने न ट्रेन रोकी ना प्रशासन को सूचित किया।

तस्वीर झारखंड के गुमला की है। नेपाल के परासी जिले में एक ईंट भट्ठे में 23 मई को गरीब मजदूर खद्दी उरांव की इलाज न मिलने से मौत हो गई। छोटे भाई ने नेपाल में ही दाह-संस्कार कर दिया। पत्नी- बच्चे अंतिम दर्शन नहीं कर पाए तो परिवार ने मिट्टी का पुतला बनाकर ऐसे अंतिम संस्कार किया।


फोटो मई के महीने में रायपुर की है- ईद के दिन मुंबई से बस में बैठकर हावड़ा के लिए निकला था 29 साल का हिफजुल रहमान। बीच में अपने साथियों से बार-बार पूछता रहा, भाई, घर कब पहुंचेंगे? 45 डिग्री गर्मी में बस के सफर ने उसे बेदम कर दिया। जब वो रायपुर पहुंचा, तो सड़क किनारे बैठ गया, सिर को पकड़ा और ऐसा लेटा कि फिर उठ ही नहीं सका।

तस्वीर जयपुर के आदर्श नगर श्मशान घाट की है। कभी यहां 10 से अधिक मृतकों की अस्थियां भी नहीं रखी जाती थीं, लेकिन कोरोना में संख्या 300 तक हैं। अलमारियों के बाद जमीन पर अस्थियों के ढेर लग गए। उत्तराखंड सरकार की तरफ से हरिद्वार जाने के लिए बसों की छूट देने के बाद अस्थियों को विसर्जित किया गया।


तस्वीर छत्तीसगढ़ के महासमुंद की है। मई में गुजरात से ओडिशा जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेन में एक यात्री की मौत हो गई। साथ में सफर कर रहे उसके बेटे को मजबूरी में महासमुंद में ही अंतिम संस्कार करना पड़ा। बेटे अनिल ने पिता के शव को मुखाग्नि देकर अपनी मां और परिजन को वीडियो कॉल कर पिता के अंतिम दर्शन कराए।

तस्वीर राजस्थान के बांसवाड़ा जिले की है। यहां मई में कोरोना संक्रमित 65 वर्षीय महिला की मौत हो गई। अस्पताल से प्लास्टिक पैकिंग में शव काे सीधे श्मशान घाट ले जाया गया। परिजन को चिता 100 फीट दूर से देखने दी गई। महिला का छाेटा बेटा कुवैत से नहीं आ सका, जबकि बड़ा बेटा अंतिम दर्शन के नाम पर वीडियो कॉल में छोटे को मां का चेहरा नहीं, सिर्फ आगे की लपटें ही दिखा पाया।


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