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Joe Biden backs Senate border deal, vows to 'shut down the border' when overwhelmed

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ई नगर विकास मंत्री का शहर है, कब्बे इसे स्मार्ट बन जाना था, लेकिन लाइन बहुत लम्बी है, सो अभी तक नम्बरे नहीं आया

शहर- मुजफ्फरपुर
स्थान- गोबरसही चौक से थोड़ा आगे
समय- शाम के 4 बजे के आसपास

स्मार्ट सिटी बनाएंगे... मरीन ड्राइव बनाएंगे... हथेली पर सरसों उगाएंगे... इनकी फसल लहलहाएगी, काट के खाएंगे भी सब और किसी को दिखइबे नही करेगा। ई नगर विकास मंत्री का शहर है। कहते हैं लोग कि कब्बे इसे स्मार्ट बन जाना था, लेकिन लाइन बहुत लम्बी है, सो अभी तक नम्बरे नहीं आया। तभी न हर चौक-चौराहा को झील बनाकर छोड़ दिया है, ताकि लोगों को झील वाले शहर में होने का अहसास होता रहे… ये आक्रोश मुजफ्फरपुर के एक युवक का है, जो लॉकडाउन में किसी दूसरे शहर से आया और नौकरी चले जाने के कारण यहीं फंसकर रह गया है। नाम ठीक-ठीक याद नहीं, लेकिन शायद अजय बताया था। यह एक चाय की दुकान पर चल रही बातचीत की एक झलक है।

मुजफ्फरपुर शहर में यूं तो चाय की तमाम दुकानें हैं, लेकिन गोबरसही चौक से थोड़ा आगे बढ़ते ही इस चाय की दुकान पर होने वाली जुटान और बहस की पूरे शहर में चर्चा होती है। आप इसे शहर की चाय दुकानों का प्रतिनिधि भी मान सकते हैं। लोग कहते हैं कि मड़ई में चलने वाली इस चाय की दुकान की खासियत है कि ये मौसमी हवा भले न झेल पाए, चुनावी मौसम में यहां से निकलने वाली हवाओं का देर तक असर रहता है।

पांच अक्टूबर का दिन है। शाम के चार-साढ़े चार बजे होंगे। बड़े से बर्तन में चाय उबल रही है और दुकान के बाहर रखी बेंच पर चाय की चाह रखने वाले कई लोग बैठे हैं। बगल में रखे अखबार को उठाकर और पहला पन्ना देखने के बाद किनारे रखते हुए बुजुर्ग कहते हैं, ‘ठीक कह रहे हो तुम। जायज है तुम्हारा गुस्सा।’ तभी एक आवाज आती है,‘चुनाव आ गया है, अब सब ठीक हो जाएगा (आवाज में खासा तंज और तल्खी है)।’

तभी एक बुजुर्ग बोल पड़ते हैं- ‘लग ही नहीं रहा है कि चुनाव है। न नेता तैयार और न ही जनता!’ इस टिप्पणी को एक दूसरे 30-35 साल के युवक ने लपक लिया है- ‘जनता तो तैयार है चाचा। ठीक से हिसाब के मूड में है। दस साल से सुरेश शर्मा विधायक छथिन, तीन साल से नगर विकास मंत्री भी हो गेलखिन, लेकिन काम कुछ न। खाली हवा-पानी पर साल बित गेलइ (खाली बातों में साल बिता दिया)।’

सुरेश शर्मा दो बार से लगातार विधायक हैं और 2017 से नगर विकास मंत्री बने, लेकिन लोग नाराज हैं कि उनके वादे कभी इरादों में नहीं बदल पाए। शहर स्मार्ट सिटी की लिस्ट में तो आ गया, लेकिन रैंकिंग में इसका पायदान हमेशा नीचे चला जाता है।

किसी ने चुनाव, चिराग और सरकार की बात छेड़ी तो मुंह से मास्क सरकाते हुए एक युवक बोला, ‘सब तय है। दस साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे-बैठे नीतीश जी का मन ऊबिया गया है। अबकी त बीजेपी अकेले सरकार बनाएगी।’

इस अति आत्मविश्वासी टिप्पणी ने चाय की दुकान पर खड़े लगभग हर व्यक्ति को उसकी तरफ घुमा दिया। इस एक बात ने अचानक माहौल बना दिया है। प्लास्टिक के कप में चाय निकालते हुए दुकान वाले ने चुटकी ली, ‘का भईया? जैसे कण-कण में भगवान वास करते हैं, वैसे ही मोदी जी भी एमपी से एमएलए तक के चुनाव में बसते हैं का?’ इस सवाल का जवाब उस नौजवान ने तपाक से दिया, ‘जा रे मर्दे! चाय वाला हो के दोसर ‘चाय वाला’ के ही टांग खींच रहा है।’

इस सवाल-जवाब ने वहां खड़े-बैठे हर व्यक्ति को हंसा दिया है।

माहौल थोड़ा शांत हुआ तो बगल में अपने टोटो (बैटरी रिक्शा) की अगली सीट पर बैठकर आराम से चाय पी रहे और इस बार पहली दफा अपना वोट डालने जा रहे लड़के ने टोका, ‘ना मोदी जी, ना नीतीश जी अबकी त महागठबंधने के मौका मिले के चाही। तेजस्वी युवा हैं। कहिया तक पुरनिया लोग बिहार के युवाओं के लिए योजना बनाते रहेंगे?’

वो इतने पर ही चुप होने के मूड में नहीं था। आगे बोला, ‘बड़का मोदी को काहे देखते हैं? छोटका मोदी को देखिए। जब पटना दहा था तो वो हाफ पैंट पहनकर सड़क किनारे खड़े थे। मोबाइल पर फोटो देखे थे हम। बताइए? जब बाढ़ में उपमुख्यमंत्री का ई हाल है तो समूचे बिहार का क्या हाल होगा? नीतीश जी, दस साल से मुख्यमंत्री हैं तो सुशील मोदी भी तो उपमुख्यमंत्री हैं। अगर भाजपा चुनाव जीत जाएगी तो दिल्ली से मोदी जी बिहार थोड़े आ जाएंगे। आएंगे का?’

चर्चा का चक्र घूम फिरकर फिर उन बुजुर्ग के पास आ चुका है, जिन्होंने इसकी शुरुआत की थी। सबकी सुनने और सबको कहने देने के बाद वो बोले, ‘कौन आवेगा, कौन जाएगा, ये तो समय बताएगा। पहले नेता और गठबंधन तो तय हो जाए। अभी खेला शुरू हुआ नहीं और आप लोग विजेता टीम की घोषणा कर रहे हैं। पहले टीमों को अपने खिलाड़ी तय करने दीजिए। थोड़ा माहौल बने। प्रचार हो। धमक चढ़े तब ना कि ऐसे ही अपने मन से कुछो बोलते रहना है?’

माथा खुजाते हुए बुजुर्ग आगे कहते हैं, ‘ऊ अंग्रेजी में एकठो कहावत है ना? क्या कहते हैं? हां याद आया…जस्ट वेट एंड वॉच। जनता को अभी यही करना चाहिए।’



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