IRSC TODAY;
32 साल के जीवन में 4 हजार से ज्यादा थ्योरम पर की रिसर्च, जिस स्कूल में 12वीं में दो बार फेल हुए आज उसी का नाम रामानुजन के नाम पर
- Get link
- X
- Other Apps
दुनिया की अनंत (इंफिनिटी) से पहचान कराने वाले मैथेमेटिशियन श्रीनिवास अयंगर रामानुजन के सम्मान में हर साल 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है। साल 1887 में इसी तारीख को भारतीय गणितज्ञ रामानुजन का जन्म हुआ था। उनके जीवन की उपलब्धियों को सम्मान देने के लिए 26 फरवरी, 2012 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने मद्रास विश्वविद्यालय में श्रीनिवास रामानुजन के जन्म की 125वीं वर्षगांठ के उद्घाटन समारोह के दौरान 22 दिसंबर यानी उनकी जयंती को राष्ट्रीय गणित दिवस घोषित किया था।
32 साल के जीवन में 4 हजार से ज्यादा थ्योरम पर की रिसर्च
श्रीनिवास अयंगर रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर, 1887 को कोयंबटूर के ईरोड गांव के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम श्रीनिवास अयंगर था। देश-दुनिया के महान गणित विचारकों में से एक रामानुजन ने महज 32 साल के जीवन में गणित की 4 हजार से ज्यादा ऐसी प्रमेय (थ्योरम) पर रिसर्च की, जिन्हें समझने में दुनियाभर के गणितज्ञों को भी सालों लगे। बताया जाता है कि उन्हें बचपन से ही गणित से लगाव था। उनका ज्यादातर समय गणित पढ़ने और उसका अभ्यास करने में बीतता था, जिससे अक्सर वे अन्य विषयों में कम अंक पाते थे।
आर्थिक तंगी के चलते क्लर्क की नौकरी भी की थी
साल 1912 में घर की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्होंने मद्रास पोर्ट ट्रस्ट में बतौर क्लर्क नौकरी भी की। यहां उनके गणित कौशल के मुरीद हुए एक अंग्रेज सहकर्मी ने रामानुजन को ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जीएच हार्डी के पास इस विषय की पढ़ाई के लिए भेजा। प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत के कुछ महीने पहले ही रामानुजन का ट्रिनिटी कॉलेज में एडमिशन हो गया था। जिसके बाद हार्डी ने उन्हें मद्रास यूनिवर्सिटी और कैंब्रिज में स्कॉलरशिप दिलाने में मदद भी की थी।
दो बार 12वीं में हुए फेल
रामानुजन, जिन्हें गणित के अलावा किसी दूसरे सब्जेक्ट में इंट्रेस्ट नहीं था। वे 11वीं में गणित को छोड़ बाकी सभी विषयों में फेल हो गए। अगले साल प्राइवेट परीक्षा देकर भी 12वीं पास नहीं कर पाए। जिस स्कूल में वो 12वीं में दो बार फेल हुए आज उसका नाम रामानुजन के नाम पर है। 1918 में रामानुजन को एलीप्टिक फंक्शंस और संख्याओं के सिद्धांत पर अपने शोध के लिए रॉयल सोसायटी का फेलो चुना गया। रॉयल सोसायटी के पूरे इतिहास में रामानुजन से कम उम्र का कोई सदस्य आज तक नहीं हुआ है। इसी वर्ष, अक्टूबर में वे ट्रिनिटी कॉलेज के फेलो चुने जाने वाले पहले भारतीय भी बने थे।
1991 में प्रकाशित हुई जीवनी
रामानुजन साल 1919 में भारत लौट आए। 32 वर्ष की आयु में 26 अप्रैल, 1920 को उन्होंने कुंभकोणम में अंतिम सांस ली। इसके बाद साल 1991 में श्रीनिवास रामानुजन की जीवनी 'द मैन हू न्यू इंफिनिटी' प्रकाशित हुई, जिस पर साल 2015 में फिल्म The Man Who Knew Infinity भी रिलीज हुई थी। फिल्म में देव पटेल ने उनका किरदार निभाया था। रामानुजन के बनाए हुए ढेरों ऐसे थ्योरम्स हैं, जो आज भी किसी पहेली से कम नहीं हैं।
डाइवरजेंट सीरीज पर दिया सिद्धांत
रामानुजन ने बिना किसी सहायता के हजारों रिजल्ट्स, इक्वेशन के रूप में संकलित किए। कई पूरी तरह से मौलिक थे, जैसे कि रामानुजन प्राइम, रामानुजन थीटा फंक्शन, विभाजन सूत्र और मॉक थीटा फंक्शन। उन्होंने डाइवरजेंट सीरीज पर अपना सिद्धांत दिया। इसके अलावा, उन्होंने Riemann series, the elliptic integrals, hypergeometric series और जेटा फंक्शन के कार्यात्मक समीकरणों पर काम किया। 1729 नंबर हार्डी-रामानुजन (Hardy-Ramanujan) नंबर के रूप में भी प्रचलित है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3nMuuW8
- Get link
- X
- Other Apps
Comments